श्री जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा: इतिहास, महत्व और कब निकलेगी यात्रा

श्री जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा भारतीय संस्कृति का एक अनोखा और ऐतिहासिक पर्व है। मान्यता है कि एक बार भगवान श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा जी अपने मायके द्वारका आई थीं और नगर दर्शन की इच्छा जाहिर की थी। तब श्रीकृष्ण और बलराम ने सुभद्रा को रथ में बैठाकर नगर भ्रमण कराया। इसी घटना से इस प्रसिद्ध रथ यात्रा की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है।

पुरी स्थित गुंडिचा मंदिर को देवी सुभद्रा की मौसी का घर माना जाता है। परंपरा के अनुसार भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा तीनों विशाल रथों पर सवार होकर मौसी के घर 10 दिनों के लिए जाते हैं। इस दौरान नगर में भव्य जुलूस निकलता है जिसे देखने लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं।

श्री जगन्नाथ मंदिर का निर्माण और विशेषता

पुरी का प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ मंदिर 12वीं शताब्दी में चोल वंश, गंगदेव और अनंग भीमदेव द्वारा निर्मित माना जाता है। 65 मीटर ऊँचा यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से बेहद अद्भुत है। गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाएँ रत्न जटित चबूतरे पर विराजमान हैं। एक खास बात यह है कि हर 12 वर्षों में इन प्रतिमाओं को बदला जाता है, और नई मूर्तियाँ भी परंपरा के अनुसार अधूरी रखी जाती हैं। यह भारत का इकलौता मंदिर है जहाँ तीनों भाई-बहन एक साथ विराजते हैं और उनकी पूजा की जाती है।

कब निकलती है रथ यात्रा?

भगवान श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया या तृतीया तिथि को निकाली जाती है। इस वर्ष यह शुभ यात्रा 27 जून 2025 को निकलेगी। ओडिशा राज्य के पुरी शहर में स्थित यह मंदिर करीब 800 साल पुराना है और इसे हिंदू धर्म के चार प्रमुख धामों में शामिल किया जाता है।

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